Sunday, April 28

फ़्रीबीज़ यानी मुफ़्त का माल

Sri MC Dewedi
IPS,
Director General Of Police (Retd.),
Uttar Pradesh.
The World's Single Largest Police Force. (Read More)

यह पढ़कर किसका जिउ नहीं जुड़ाय गया होगा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी फ़्रीबीज़ पर नियंत्रण लगाने का प्रकरण संज्ञान में ले लिया है। वैसे तो फ़्रीबीज़ देने का अर्थ मुफ़्त में माल लुटाने मात्र से है परंतु सर्वोच्च न्यायालय का संदर्भ चुनाव के दौरान किये वादे के अनुसार चुनाव जीत जाने पर शासकीय धन को मुफ़्त लुटाने से है- कोई किसानो के लाखों के ऋण माफ़ कर देता है, कोई सभी उपभोक्ताओं के बिजली के बिल में दो-चार सौ यूनिट प्राति माह माफ़ कर  देता है, कोई छात्राओं को सायकिल बांटता है, तो कोई लैपटौप से नवाज़ता है और कोई महिलाओं को मासिक पेंशन दे देता है, आदि-आदि। इन फ़्रीबीज़ का उद्देश्य न तो निर्धन की सहायता का होता है और न आर्थिक समता लाना होता है, वरन देश के नागरिकों से वसूले कर को वैयक्तिक सम्पत्ति मानकर मुफ़्त में लुटाकर वोट बटोरना होता है।

अभी माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने वोटर को दी जाने वाली फ़्रीबीज़ का मसला हल भी नहीं कर पाया था, कि 23 अगस्त, 2022 को शासन ने सेवानिवृत न्यायमूर्तियों को दी जाने वाली सुविधायें (असलियत में ‘फ़्रीबीज़’) में बढ़ोत्तरी का निम्नलिखित आदेश निर्गत कर दिया-
1. सेवानिवृति के छः माह बाद तक किरायारहित सरकारी आवास
2. एक साल तक ड्राइवर
3.    एक साल तक  सेक्रेटरी
4.    एक साल तक गनर द्वारा चौबीस घंटे की व्यक्तिगत सुरक्षा के अतिरिक्त आवास पर सुरक्षा गार्ड

मैं इन्हें फ़्रीबीज़ इसलिये कहता हूं कि इनमें एक भी सुविधा किसी अन्य जनसेवक, जिनमें आतंकियों और दुर्दांत अपराधियों के विरुद्ध जान पर खेलने वाले पुलिस, अर्धसैनिक बल व सेना के अधिकारी शामिल हैं, को उपलब्ध नहीं है। मैं इन्हें फ़्रीबीज़ इसलिये भी कहता हूँ कि उपर्लिखित आदेश के दो दिन के अंदर शासन ने ‘गम्भीर शोध’ कर पाया कि सेवानिवृत न्यायमूर्तियों को दी जाने वाली ये फ़्रीबीज़ इतनी कम अवधि के लिये सीमित करना उनके साथ बड़ी नाइंसाफ़ी है और फ़्रीबीज़ का आदेश संशोधित कर मुफ़्त ड्राइवर और सेक्रेटरी के प्राविधान को आजीवन का कर दिया तथा सुरक्षा की अवधि बढ़ाकर पांच वर्ष तक कर दी। जानकार लोगों का कहना है कि न्यायमूर्तियों के विषय में इस प्रकार की ‘गम्भीर शोध’ का आधार उनके द्वारा मौखिक मांग होता है, जिसे शासन प्रायः आदेश की तरह स्वीकार कर लेता है।

सेवारत न्यायमूर्तियों के सम्बंध में भी कतिपय प्राविधान विचारणीय प्रश्न खड़े करते हैं-             
1. भारत के मुख्य न्यायमूर्ति को रु. 1000000 का तथा अन्य को रु. 800000 का ‘फ़र्निशिंग अलाउंस’ दिया जाता ह- न्यायमूर्तियों के सेवानिवृत होने की गति को देखते हुए विचारणीय है कि एक आवास में साल-दोसाल में कितने लाख का फ़र्नीचर आता-जाता होगा?
2. मुख्य न्यायाधीश को रु. 45000/- प्रति माह तथा अन्य को रु. 34000/- प्रति माह का ‘सम्प्चुअरी (खाने-खिलाने का) अलाउंस’ दिया जाता है- पता नहीं इतना खाना-खिलाना किसको किया जाता है, क्योंकि मैंने पढ़ा है कि न्यायिक अधिकारियों का जनता और वकीलों से अधिक मेलजोल न्यायिक हित में नहीं समझा जाता है।
3. सरकारी आवास के बजाय अपने आवास में रहने पर वेतन का 24 प्रतिशत भत्ता दिया जाता है।
4. आवासीय भत्ता, आवागमन भत्ता, ‘सम्प्चुअरी अलाउंस’, एवं ‘लीव ट्रेविल कंसेशन’ पर कोई आयकर नहीं लगता ह- देश में सर्वाधिक वेतन-भत्ता पाने वालों को आयकर की छूट देना कैसा समाजवाद है?
5. ‘चौगुना लीव ट्रेविल कंसेशन’- अन्य जनसेवकों को दो वर्ष में एक बार ‘लीव ट्रेविल कंसेशन’ अनुमन्य है परंतु न्यायमूर्ति एक वर्ष में दो बार लेते हैं- इसके अनौचित्य को तो एक निष्पक्ष न्यायमूर्ति भी मेरे समक्ष व्यक्तिगत वार्ता में स्वीकार कर चुके हैं।
6. 26 जनवरी, 1950 को जो सम्विधान देश में लागू हुआ, वह समतावादी समाज की स्थापना का निर्देश देता है, परंतु आज भी न्यायमूर्ति अपने को ‘मिलौर्ड’ कहलाना पसंद करते हैं-     क्या यह सम्बोधन सम्बोधित के मन में स्वयं के सर्वशक्तिसम्पन्न राजा होने और सम्बोधक के मन में उसके तुच्छ होने की अनुभूति नहीं पैदा करता है? क्या यह समतावादी गणतंत्र की मंशा के अनुरूप है?

मुझ जैसे सामान्य जन की समझ में चुनाव के दौरान घोषित ‘फ़्रीबीज़’ लेने और शासनादेश कराके ‘फ़्रीबीज़’ लेने के प्रभाव में कोई अंतर नहीं है। दोनो में ही वोइसलेस करदाता के धन का अपव्यय होता है। अतः यदि न्यायमूर्तिगण सचमुच ‘फ़्रीबीज़’ पर नियंत्रण चाहते हैं, तो ‘चैरिटी शुड बिगिन फ़्राम होम’ ।

- महेश चंद्र द्विवेदी

Sri MC Dewedi
IPS,
Director General Of Police (Retd.),
Uttar Pradesh.
The World's Single Largest Police Force.

He has been a writer, penned many books on a wide spectrum of ground issues as well as on his experiences as IPS, later as the DGP of the Largest State Of UP.

Post retirement he turned philanthropist, a not for profit - educationist,   who has turned his home situated in the posh Vivek Khand 1 locality of Gomti Nagar at Lucknow, into a school for underprivileged kids of the neighbouring areas who get not only absolutely free of cost education, but also all books and stationary, besides other necessities from time to time. He along with his wife Smt Neerja Dewedi, is deeply involved in this noble venture since past more than a decade, which has changed the future of many slum dwelling kids, for the good. Many of the kids have  grown up and taken up professional engagements, who have in turn totally transformed the lives for their families.

He is a living inspiration for many, creating " Purpose Of Life, is in fact a - Life Of Purpose "; which he along with his wife is ensuring as a must for the underprivileged kids !

 

'Shri Mahesh Chandra Dewedy IPS, DGP, UP ( Retd. )
Founder : Gyan Prasar Sansthan, A Non Profit, Educational, Social  Service Institution, dedicated for the Under Privileged Children, Slum Dwellers  '

Smt Neerja Dewedy, w/o Sri MC Dewedy, is the Co Founder, President, running a Social Service Free Of Cost, Institution named 'Shri Mahesh Chandra Dewedy Gyan Prasar Sansthan'.

It is a registered body under the Societies and Chit Funds Registration Act. The registration was got done in 1998 by a young enthusiastic man named Shri Avadh Behari Sharma of Shri Dewedy’s village Manikothi (Distt. Auraiya, U. P.), who was very impressed by the books written by him and his wife Neerja Dewedy, which they used to keep in a reading room situated in their village home. Besides this reading room in the village, literary meetings were also held in the village. Smt Neerja Dewedy is the AdhyakSha of this Sansthan.

In Lucknow, this coaching school for poor children is run Free Of Cost by Smt. Neerja Dewedy at her residence situated at 1/137, Vivek Khand, Gomtinagar, Lucknow-226010. After Sri MC Dewedy’s retirement from the post of D. G. Police, U. P., he settled in this house on 3rd July, 2003. On 15th August, 2003 his wife Smt Neerja Dewedy invited the children of the labour class, slum dwellers roaming in the streets to speak to them about Independence Day, which became the birthday of this school. Due to love, respect and care with which they were treated, the number of children kept on swelling. Due to frequent move of their parents, the children keep on changing, but attendance usually runs around 100 daily. The present activities include teaching, distributing eatables, distributing clothes collected from the well to do houses, intermittently inviting doctors and distributing medicines, training the children in cleanliness, dance and music, painting, tailoring, and getting them admitted in regular schools, etc. Poorest among these children are also given scholarships. Some of them who have passed Intermediate and above are given coaching for competitive exams.

Some of them have been employed as teachers here itself and are continuing higher studies from the salary paid by this school. Some pass outs from here have done graduation, post graduation and engineering courses.

This school does not receive any government grant and the school runs on Dewedys’ own funds and on help received from friends, relatives, etc. Occasional contributions by Rotary, Lions clubs and some gentlemen and free teaching by a prominent senior lady having rich academic experience from a Premier Convent School of Lucknow Mrs Arti Kapoor, besides a host of other Senior Ladies Mrs Seema Bajpai, Mrs Sapana Kapoor, Mrs Vidya Singh, Mrs Indu Maheshwari, Mrs Nily Shrivastava, Mrs Kalpana Saxena, Mrs Shanta Mathur, etc, all hailing from reputed established families, have been of tremendous help, providing encouragement, administrative and academic support, active participation on pro bono basis, throughout their journey towards this great noble initiate, still continues unabated.

It's an inspiration to the society, and particularly those who are privileged and retired from academics, high positions in any stream, and /or businesses, if all do engage in similar activities directly, and / or support such activities, doing the bit towards the underprivileged members of the society, specially the kids, then by taking consistently significant steps has the potential to bring about a huge change in the society.

Sri MC Dewedy and his wife Smt Neerja Dewedy, are indeed a living inspiration and stand out as an outstanding example, who have jointly prefered to this noble free of cost societal sevice towards the underprivileged children, slum dwellers, giving up several other engagements which their  / society's privileged continue to prefer !

World News Group wishes the Dewedy's, their administrative, academic, and other teams, all the very best for continuing in their Great, Philanthropic Noble Engagements, focussed at changing the course of life for the Underprivileged Children and their Families.


आत्म-विवरण (Vistrit)

नाम:   महेश चंद्र द्विवेदी
माता –स्व. पानकुंवर दुबे, पिता- स्व. शम्भू दयाल दुबे
पताः   ‘ज्ञान प्रसार संस्थान’, 1/137, विवेकखंड, गोमतीनगर,
       लखनउू-226010
फोनः 0522 2304276 / 9415063030
ई-मेल:  mcdewedy@yahoo.com       
जन्म-स्थान एवं जन्मतिथिः मानीकोठी, इटावा / 07 जुलाई, 1941

शिक्षाः
      1. एम. एस. सी. /भैतिकी/- लखनऊ विश्वविद्यालय /गोल्ड मेडलिस्ट/
      2. एम. एस. सी. /सोशल प्लानिंग/- लंदन स्कूल आफ़ इकोनोमिक्स, लंदन
      3. डिप्लोमा इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, लखनऊ विश्वविद्यालय
      4. विशारद

जीवनयापन हेतु सेवावृत्तः
1. 1961-1962 - अघ्यापन, आई. टी. कालिज, लखनऊ
2. 1963- साइंटिस्ट, डी. आर. डी. ओ., दिल्ली
3. 1963- 2001- आई. पी. एस.- पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत

प्रकाशित पुस्तकें;

       1. उर्मि- उपन्यास
       2. सर्जना के स्वर- कविता संग्रह
       3. एक बौना मानव- कहानी संग्रह
       4. सत्यबोध- कहानी संग्रह
       5. क्लियर फ़ंडा- व्यंग्य संग्रह
       6. भज्जी का जूता- व्यंग्य संग्रह
       7. प्रिय अप्रिय प्रशासकीय प्रसंग- संस्मरण
       8. अनजाने आकाश में- कविता संग्रह
       9. लव जिहाद- कहानी संग्रह  
      10. भीगे पंख- उपन्यास
      11. मानिला की योगिनी- उपन्यास
      12. इमराना हाजिर हो- कहानी संग्रह
      13. महेश चंद्र द्विवेदी के 51 व्यंग्य
      14. वीरप्पन की मूंछेँ - व्यंग्य संग्रह
      15. Interesting Exposures of Administration (ENGLISH)
      16. चुनिंदा व्यंग्य – व्यंग्य संग्रह
      17. फ़्राडियर और नीमपागल – संस्मरण
      18. अनोखी यायावरी- यात्रा संस्मरण
      19. वैज्ञानिक सोच की विविध रचनायें

राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनः

1. दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, लोकमत, अमर
  उजाला, आदि समाचार पत्रों में अनेक लेख, कहानी,  कविताओं का     
  प्रकाशन  
2. अनेक वर्ष आई-नेक्स्ट /जागरण समूह/ में मुख्य-लेख का पाक्षिक प्रकाशन
3. हंस, कादम्बिनी, कथाक्रम, कथादेश, व्यंग्य यात्रा, लफ़ज़, सरिता, मसि-कागद, मनोरमा, मधुमती, पुलिस पत्रिका, उत्तर प्रदेश, सुरभि समग्र, मनोहर कहानियां, युगीन, अट्टहास, गर्भनाल, सोच-विचार, दिव्यालोक आदि पत्रिकाओं में अनेक रचनायें प्रकाशित

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं मेँ प्रकाशनः

1. लंदन से प्रकाशित पत्रिका पुरवाई एवं अमेरिका से प्रकाशित विश्व विवेक में रचनायें प्रकाशित
2. ई-पत्रिकायें- शारजाह से प्रकाशित अभिव्यक्ति एवं अनुभूति, कनाडा से प्रकाशित साहित्यकुंज, अमेरिका से प्रकाशित ई-विश्वा, भारत से प्रकाशित हिंदीनेस्ट, सृजनगाथा, स्वर्गविभा, कलायन पत्रिका
आदि ई-पत्रिकाओं में अनेक रचनायें प्रकाशित

अंग्रेजी़ पत्र-पत्रिकाओं मेँ प्रकाशनः

1. पायनियर, हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स आफ़ इंडिया में सामाजिक विषयों पर     
      रचनायें प्रकाशित
2. ई-पत्रिका ‘बोलोजी.काम’ पर अनेक रचनायें प्रकाशित

प्रसारणः
1. अनेक कहानियों/कविताओँ का आकाशवाणी पर प्रसारण
3. कविता का दूरदर्शन पर प्रसारण
3.     वर्ष 2001 में दूरदर्शन दिल्ली द्वारा साक्षात्कार का प्रसारण
4. वर्ष 1998 में बी. बी. सी., बर्मिंघम द्वारा साक्षात्कार का प्रसारण
5. ई. टी. वी., सहारा समय द्वारा साक्षात्कार एवं साहित्य का प्रसारण

मंचीय कविता पाठः

1. भारत में लखनऊ, गाजि़याबाद, गढ़, मथुरा, आगरा, बदायूं, बिजनौर,
       फर्रुखाबाद, गोला, इटावा, खीरी, इलाहाबाद, कटनी, सोनभद्र आदि मेँ
       मँचीय काव्यपाठ
2. लंदन/1998/,डिट्रौइट/2002/,सिन्सिनाटी/2002/,
       राली/2002/, शिकागो/2007/, एटलांटा/2002 एवं
       2007/ बर्मिंधम/2002 एवं 2007/, वूल्वरहैम्प्टन/1998/, स्विट्झरलैंड/2011/ में मंचीय पाठ
 
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भागीदारीः
1.    विश्व हिंदी सम्मेलन, (न्यूयार्क-2007)
2.    रामायण ज्ञान केन्द्र, यू. के. (बर्मिंघम-2007)
3.    शतो द लाविनी /स्विट्झरलैंड/ में अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के साथ 21 दिन की रेजीडेंसी- 2010
4.    अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, दुबई – 2013
5.    अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, चाइना- 2014
6.    अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, मिस्र- 2016
             
सामाजिक एवं साहित्यिक कार्यः

1. ‘श्री महेश चंद्र द्विवेदी ज्ञान प्रसार संस्थान’ के अंतर्गत निर्धन बच्चोँ को निःशुल्क शिक्षा, सद्गुणों का विकास, वस्त्र वितरण एवं चिकित्सीय सहायता
2. अपने ग्राम मानीकोठी एवं कुदरकोट में वाचनालय की स्थापना एवं बच्चों की प्रतियोगिताओं का आयोजन
3. लखनऊ में त्रैमासिक तथा ग्राम मानीकोठी में वार्षिक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन
4. अध्यक्ष /उत्तर प्रदेश/- भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद
5.  पूर्व अध्यक्ष, वानप्रस्थ सेवा संस्थान, लखनऊ
6.  अध्यक्ष /उत्तर प्रदेश/- राइटर्स ऐंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन

पुरस्कार एवं सम्मानः

 अः 1. सराहनीय सेवाओं हेतु पुलिस पदक
    2. विशिष्ट सेवाओं हेतु राष्ट्र्पति का पुलिस पदक
    3. मानवाधिकार संरक्षण समिति, छत्तीसगढ़- भारत श्री
    4. लखनऊ विश्वविद्यालय मेँ गोल्ड मेडल

 ब. 1. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान- साहित्य भूषण   
    2. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान- हरि शंकर परसाई पुरस्कार- 2014
    3. अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, मिस्र में प्रो. सहदेव सिंह सम्मान
    4. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान से एक लाख रु का पुरस्कार
    5. प्रोग्रेसिव कल्चुरल सोसायटी, लखनउू
    6. सर्वधर्म चेतना सेवा संस्थान द्वारा घोंघा-शिरोमणि सम्मान
    7. संस्कार भारती- फर्रुखाबाद
    8. महाकोशल साहित्य एवं संस्कृति परिषद- भारत भारती सम्मान
    9. अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन- गढ़-गंगा शिखर सम्मान
    10. हिंदी एवं संस्कृति प्रसार समिति /भारत/- हिंदी रत्न
    11. इटावा हिंदी सेवानिधि- गंगदेव सम्मान
    12. शब्द सरिता- काव्य रत्न
    13. डा. सुरेश चंद्र शुक्ल राष्ट्भाषा पुरस्कार
    14. अखिल भारतीय ब्रज साहित्य संगम, मथुरा- कला रत्न
   15. अ. भा. अगीत परिषद, लखनऊ- डा. शिव मंगल सिंह सुमन पुरस्कार
   16. अ. भा. अम्बिका प्रसाद ‘दिव्य’ स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार, सागर/मघ्य प्रदेश/
   17. ‘अभिव्यक्ति’ ई-पत्रिका में कथा पुरस्कार
   18. सोनांचल साहित्यकार संस्थान, सोनभद्र
   19. साहित्यानंद परिषद, खीरी
   15. हिंदी प्रसार निधि, बिधूना
   16. अखिल भारतीय वागीश्वरी साहित्य परिषद, लखनउू
   17. साहित्य प्रोत्साहन, लखनऊ
   18. अखिल भारतीय साहित्य परिषद, राजस्थान –उपन्यास पर प्रथम पुरस्कार
   19. नवस्रजन- जिज्ञासा सर्जना सम्मान
   20. प्रो. सहदेव सिंह स्मृति सम्मान- (मिस्र मेँ प्राप्त)- 2016  
   21. आल इंडिया कान्फ़रेंस आफ़ इंटेलेक्चुअल्स- यू. पी. रत्न  
   22 आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया, वाराणसी  
   23. लखनऊ मैनेजमेँट एसोसिएशन- व्यंग्य-सम्मान
   24- रोटरी-क्लब, लखनऊ द्वारा व्यंग्य-पाठ सम्मान
   25- सुंदरम सम्मान
   26- भारत विकास परिषद, इटावा द्वारा सम्मान
   27- अखिल भारत वैचारिक क्रांति मंच, लखनऊ – सम्मान
   28- श्रीनाथद्वारा साहित्य मंडल उपाधि पत्र
   29- प्राची साहित्य एवं अवधी शोध संस्थान
   30- राष्ट्रीय आध्यात्मिक कवि सम्मेलन- आध्यात्मिक काव्य भूषण
   31- सर्वजन हिताय सेवा संस्थान- सम्मान
   32- अखिल भारतीय अगीत परिषद- समाज शिरोमणि-2016
   33- अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, बेजिंग- गुरु घासीदास सम्मान
   34- सोनांचल साहित्यकार सम्मान
   35- सोमेश कुमार शर्मा अवार्ड
   36- कंसर्न्ड थिएटर लखनऊ- प्रेरणाश्री-2019
   37- स्वर्गविभा तारा राष्ट्रीय सम्मान- 2013
    38- अभिव्यक्ति कथा पुरस्कार- 2008
    39- अ. भा. मंचीय कवि पीठ- महाकवि कबीरदास सम्मान- 2012
    40- हिंदी एवं संस्कृति प्रसार समिति- हिंदी रत्न-2001
    41- स्रजन सम्मान- 2011
    42- भा. भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद- 2008
    43- हिंदी विकास परिषद, बिधूना- 2006
    44- नवयुग पत्रकार विकास एसोसिएशन- साहित्यकार रत्न 2016
    45- मार्तंड साहित्यिक संस्था- 2019
    46- लक्ष्य साहित्यिक संस्था- 2018
    47- अनहद कृति- विशेष मान्यता सम्मान- 2014-15
    48- स्रजन- साहित्य साधना सम्मान 2015
    49- अ. भा. अगीत परिषद- साहित्यकार भास्कर सम्मान- 2020
    50- मातृभारती लौग स्टोरी कम्पिटीशन (हिंदी)- प्रथम पुरस्कार- 2020       
    51- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान- शरद जोशी पुरस्कार- 2004 आदि, आदि  

   अन्य उपलब्धियां-
     1. डा. जितेंन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’ द्वारा श्री महेश
        चंद्र द्विवेदी एवं उनकी पत्नी नीरजा द्विवेदी के
        साहित्य पर ‘साहित्यकार द्विवेदी दम्पति’ शीर्षक
        से पुस्तक प्रकाशित
     2.  एम. फि़ल, लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा कु.
         श्रुति शुक्ला द्वारा श्री महेश चंद्र द्विवेदी के साहित्य
         पर शोध
     3.  ईकविता/काव्यधारा/कविताकोष/कहानी मंच समूहोँ की सदस्यता


नीरजा द्विवेदी (Sankshipt)

जन्म स्थान एवं तिथिः दातागंज, बदायूं / 5 मार्च, 1946
पताः 1/137, विवेकखंड, गोमतीनगर, लखनऊ

सामाजिक सेवा-
अ. अध्यक्ष,  ‘ज्ञान प्रसार संस्थान’
1. निर्बल वर्ग के लगभग 100 बच्चों हेतु विवेकखंड-1, गोमतीनगर में निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा-सुविधा,  व्यवसायिक कार्यक्रम एवं पुस्तकालय  
2. ग्राम मानीकोठी एवं कुदरकोट, जनपद औरैया में छात्रों के प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन हेतु वाचनालय, प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन
3. लखनऊ में साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन         

ब. पूर्व अध्यक्ष, उ. प्र. पुलिस कल्याण संस्थान-  उत्तर प्रदेश पुलिस के समस्त कर्मियों हेतु समग्र कल्याण कार्य

साहित्यकार एवं गीतकार
1. कादम्बिनी, सरिता, मनोरमा, गृहशोभा, पुलिस पत्रिका, सुरभि समग्र आदि अनेक पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों मे लेख, कहानियां, संस्मरण, कविता आदि प्रकाशित
2. भारतीय लेखिका परिषद, लखनऊ एवं लेखिका संघ, दिल्ली की सदस्य
3. भारत, ब्रिटेन, स्विट्ज़रलैंड एवं अमेरिका में कवि गोष्ठियों मे काव्य पाठ
4. बी. बी. सी. एवं ए. आई. आर. पर कविता/कहानी का पाठ
5. ‘गुनगुना उठे अधर’ नाम से गीतों का टी. सीरीज़ का कैसेट
          
प्रकाशित पुस्तकें: 25– उपन्यास, कहानी संग्रह, संस्मरण, लोक-गीत संकलन, कविता संग्रह आदि

सम्मान व पुरस्कार-
1. देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगभग पचास सम्मान/पुरस्कार
2. एमरी यूनिवर्सिटी, ऐटलांटा, यू. एस. ए. में सम्मान
3. लखनऊ विश्वविद्यालय एवं कशमीर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा शोध कार्य

 

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